फ़ौजी प्रेमिका की डायरी
फ़ौजी प्रेमिका की डायरी
मेरा आशिक वो नहीं
जो रीलों में मोहब्बत जताए,
हर लम्हा मुझे टैग करे,
या गिफ्ट्स की कहानियाँ सजाए…
मेरा आशिक तो वो है
जो बन्दूक थामे,
सरहद की खामोशी में
मेरे नाम की सरगम गुनगुनाए।
वो न कह सका कभी
"आई लव यू" खुलकर,
पर हर गोली चलने से पहले
मेरी तस्वीर छुपा लेता है सीने के अंदर।
वो नहीं था इंस्टाग्राम वाला प्रेमी,
वो था मातृभूमि का दीवाना,
जो इश्क़ की भी क़ीमत
शहादत से चुकाता रहा।
एक दिन जब तिरंगे में लिपटा आया,
तो सबने कहा — ‘शहीद’,
मैंने कहा —
“देखो! मेरा आशिक आया है,
वादा निभा कर गया है!”
