अब मैं मेच्योर हों गयी हूँ
अब मैं मेच्योर हों गयी हूँ
अब मैं मेच्योर हों गयी हूँ
समझने लगी हूँ सही गलत को
समझने लगी हूँ खुद को तुमको
समझने लगी हूँ उन हर छोटी छोटी बातों को
जो अब तक अनदेखा करती आयी हूँ
नहीं करती अब बकवास किसी बात पर
चुप रहकर हर किसी को समझने लगी हूँ
देख रही हूँ हर उन शख्स को
उनके तर्क -वितर्क को
दुनिया वो नहीं जो अब तक मैं देखती आ रही हूँ
दुनिया वो हैं जो अब तक मैं समझ कर भी ना समझ बनती आयी हूँ
हर दिन हर महीना हर साल खुद को बदलती आ रही हूँ
क्यूंकि अब मैं मेच्योर हों रही हूँ
माना अब तक कई उलूल जुलूल हरकतें की मैंने
लेकिन जनाब मैं तो अपनी जिंदगी के साथ एडजस्ट करती आयी हूँ
तैयार हूँ इस नए साल नए सफ़र के लिए
क्यूंकि अब मैं मेच्योर हों गयी हूँ
समझने लगी हूँ रिश्तों की परिभाषा,
जो कभी लगते थे बस एक दिखावा।
अब जान गई हूँ कि सच्चाई कहाँ छिपी है,
और फरेब की नकाब कहाँ जमी है।
अब किसी की बातों में बहकती नहीं,
हर मुस्कान के पीछे के इरादे से डरती नहीं।
सीख लिया है खुद से प्यार करना,
अपनी खुशियों का खुद ही जिम्मा लेना।
अब शिकायतों की फेहरिस्त छोटी कर ली है,
अपनी सोच को ऊंचाई पर रख ली है।
जो गया, वो सबक बन गया,
जो आया, उसे खुशी से अपनाया।
नए साल की इस दहलीज पर खड़ी,
मैं एक नई उम्मीद की किरण सी बड़ी।
अपने सपनों को पंख देने की चाह में,
हर ठोकर को सीख मानती हूँ राह में।
अब मैं मेच्योर हो गयी हूँ,
खुद के लिए जीने लगी हूँ।
जिंदगी को अपने तरीके से संवारना है,
हर एक पल को खुद का बनाना है।
कहते हैं, वक्त हर जख्म भर देता है,
पर मैं मानती हूँ, वक्त ही रास्ता दिखाता है।
तो चलो, इस नए सफर में कदम बढ़ाते हैं,
खुद को और इस दुनिया को बेहतर बनाते हैं।
