ऑफलाइन बनाम ऑनलाइन
ऑफलाइन बनाम ऑनलाइन
तुमसे मेरे सम्बन्ध यदि कुछ मीठे-मीठे होते हैं,
और यदि मेरे विचार से तुम इत्तेफाक भी रखते हो.....
तुम जा सकते हो ऑफलाइन, न डेटा ऑनलाइन होगा।
यदि तुम मेरे सब बातों में मिश्री की डली सी ढल जाओ,
और बिन बोले,बिन डोले ही पत्थर की मूरत बन जाओ,
फिर हो सकते हो ऑफलाइन, न डेटा ऑनलाइन होगा।
मैं जब-जब भी कुछ भी बोलूं, तुम हां में हां मिला देना,
मैं बात करूं संघषों की, तुम जय-जयकार लगा देना,
फिर हो सकते हो ऑफलाइन, न डेटा ऑनलाइन होगा।
तुम बोल पड़ी, मुख खोल पड़ी....यदि तुमने कह दी जो सच्चाई.....
फिर देख ही लेना दम मेरा,कि डेटा ऑनलाइन होगा.....
मेरा मौन समर्थन करती रहो, और बुत जैसी ही बनो रहो....
न सत्य कहो,न कहने दो... जैसा चलता है चलने दो...
अधिकारों की जो बात करी तो, डेटा ऑनलाइन होगा.....
कि डेटा ऑनलाइन होगा.....
