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Sunil Agrahari

Comedy Drama Others

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Sunil Agrahari

Comedy Drama Others

चुनावी मौसम (हास्य व्यंग्य)

चुनावी मौसम (हास्य व्यंग्य)

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आ गया है चुनाव का मौसम, झड़ी वादों की लगने लगी है,

कोई नेता नहीं घर था आता, अब बेवक्त घंटी बजने लगी हैं,

आ गया है चुनाव का मौसम.......।

वादे पिछले हुए ना थे पूरे , फिर भी बेशर्मी से मुस्कुराते ,

सड़ रहे उनके वादे पुराने, बदबू उनमें से आने लगी है।

आ गया है चुनाव का मौसम.......।

दांत और बाल नेता जी के नकली, पोस्टरों में वो लगते थे असली,

झूठ दुनिया से कब तक छुपाना, जनता सब कुछ समझने लगी है।

आ गया है चुनाव का मौसम.......।

मरती है टैक्स भर भर के जनता, बदले में उनको ठेंगा है मिलता ,  

नेता जी का टिकट है कटने वाला, जनता सोते से जगने लगी है।

आ गया है चुनाव का मौसम.......।

नेक तेरे नहीं है इरादे, वादे करते मुकरते फिरते भागे,  

पाप कर्म की तुम हो नुमाइश, बात अब ऐसी होने लगी है।

आ गया है चुनाव का मौसम.......।

फंड जनता का तुमने डकारा, शब्द बेईमान भी तुमसे हारा,

बख्त तेरा बुरा है आने वाला, जनता दिन तेरे गिनने लगी है।

आ गया है चुनाव का मौसम.......।



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