सियासत और सैनिक
सियासत और सैनिक
मौत होती सैनिकों की,दुश्मनों की गोली से एकबार,
वीभत्स मौत तो होती है नेताओं की बोली से बार बार,
बैठ सुरक्षा घेरे में सैनिको पर ऊँगली उठाते हो,
सियासत शहीदों पर कर के खुद को देश भक्त बताते हो,
सीमा पर जंग करने की
हिम्मत हो तो आओ एक बार,
दिल दिमाग फट जायेगा,
सुन कर मौत की चीख पुकार,
सियासत तेरी चमकती रहे
पैदा करते हो पत्थर मार,
शहीदी तोहफ़े त्योहारों पर हम कफ़न ओढ़ घर लाते है,
आँसू वाले खारे शरबत घरवाले पी जाते है,
हर पल ऐश से जीने को तुम घर से रोज़ निकलते हो,
ठंडी हवा के झोंकों में सुकून की साँसे लेते हो,
जब चाहे जहाँ चाहे तुम करते लीला मंगल,
चौबीसों घंटे मौत से हम जंगल में करते दंगल,
चैन से तुम घर सो सको हम ख़ुशी से मर के जीते है,
तेरी नमक हराम बातों से
गहरे ज़ख्मो को सीते हैं,
मेरे माँ बाप पत्नी और बच्चे करते रहते हैं इंतज़ार,
मिलने का वादा उनसे टूट जाता है बार बार,
कैसे कहूँ सुनील,
शहीद हुए हम बॉर्डर पर लाशें ग़ुम हुई कितनी बार,
शहीद की फोटो खबरें बन कर
बिकते घर घर गली बाज़ार,
घाव खून बदन के टुकड़े आते टी वी के खबरों में,
बहुत ज़्यादा ढूढ़ मची तो मिल जाते हैं
हम कब्रों में, गया था ज़िंदा घर से मैं
वापस आया बन कर अखबार,
रह गई मन में एक कसक
काश मिलता सब से एक बार,
नेताओं की नीच सियासत से
श्मशान बना मेरा घर द्वार,
हवन सामग्री बन हम जलते हैं
नेताओं का होता रहा उद्धार।
