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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Tragedy

4.9  

राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Tragedy

एक जोहरा रोई है

एक जोहरा रोई है

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घाटी-घाटी मौन खड़ी है, दूर तलक सन्नाटा है ।

आदमखोर भेड़ियों ने फिर, मानवता को काटा है ।


कुदरत ने भी इस घटना पर, अपनी आंख भिगोई है ।

आज सुबक कर फिर घाटी में, एक जोहरा रोई है ।


कुत्ते जब हुँकार रहे हैं गीदड़ शोर मचाते हैं ।

रोज भेड़िए मानवता को नोच नोच खा जाते हैं ।


इस सच्चाई पर अतीत के किस्से भी शरमाते हैं ।

श्वेत कबूतर भारत के सरहद पर काटे जाते हैं ।


जब सरहद पर दो कौड़ी के कुत्ते भी गुर्राते हैं ।

तब भारत के शेर शांति की ध्वजा लिए आ जाते हैं ।


भले साँप को दूध पिलाओ, जहर सदैव उगलता है ।

अपना पाला नाग हमेशा, अपनों को ही खलता है ।


धोखा खाने से पहले ही सदा सम्हलना अच्छा है ।

और विषैले साँपों को हर बार कुचलना अच्छा है । 



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