एक जोहरा रोई है
एक जोहरा रोई है
घाटी-घाटी मौन खड़ी है, दूर तलक सन्नाटा है ।
आदमखोर भेड़ियों ने फिर, मानवता को काटा है ।
कुदरत ने भी इस घटना पर, अपनी आंख भिगोई है ।
आज सुबक कर फिर घाटी में, एक जोहरा रोई है ।
कुत्ते जब हुँकार रहे हैं गीदड़ शोर मचाते हैं ।
रोज भेड़िए मानवता को नोच नोच खा जाते हैं ।
इस सच्चाई पर अतीत के किस्से भी शरमाते हैं ।
श्वेत कबूतर भारत के सरहद पर काटे जाते हैं ।
जब सरहद पर दो कौड़ी के कुत्ते भी गुर्राते हैं ।
तब भारत के शेर शांति की ध्वजा लिए आ जाते हैं ।
भले साँप को दूध पिलाओ, जहर सदैव उगलता है ।
अपना पाला नाग हमेशा, अपनों को ही खलता है ।
धोखा खाने से पहले ही सदा सम्हलना अच्छा है ।
और विषैले साँपों को हर बार कुचलना अच्छा है ।