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Dheeraj Srivastava

Tragedy

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Dheeraj Srivastava

Tragedy

रक्षा करना राम

रक्षा करना राम

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मन मैंना का इमली जैसा

तन ज्यों कच्चा आम।

घूर रही हैं कामुक नजरें

रक्षा करना राम।


गली गली टर्राकर मेंढक

खूब जताते प्यार।

मारें बाज झपट्टे निश दिन

टपकाते हैं लार।

उल्लू अक्सर आँख मारते

गिद्ध करे बदनाम।

घूर रही हैं कामुक नजरें

रक्षा करना राम।


दारू पीकर कछुए ताड़ें

सर्प रहे फुफकार।

गिरगिट करें इशारे फूहड़

घोंघों की सरकार।

अचरज क्या फिर, करें केंचुए

मगरमच्छ का काम ।

घूर रही हैं कामुक नजरें

रक्षा करना राम।


जाए कहाँ भला बेचारी

खतरे में है जान।

घूम रहे हैं चूहे तक जब

बन करके हैवान।

धूर्त भेड़िए आँगन कूदें

सुबह दोपहर शाम ।

घूर रही हैं कामुक नजरें

रक्षा करना राम।


सोच रहे चमगादड़ बैठे

कर लें इसको कैद।

चोंच मारते कौवे सारे

बगुले हैं मुस्तैद।

किन्तु लिखा है उसके दिल पर

बस तोते का नाम।

घूर रही हैं कामुक नजरें

रक्षा करना राम।


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