शिक्षक शिक्षार्थी और कोरोना
शिक्षक शिक्षार्थी और कोरोना
पुस्तक शिक्षक शिक्षार्थी ,
में दूरी अधिक बढाई।
कोरोना की लहरों ने आ ,
चौपट करी पढाई ।।
आनलाइन पढ़ते समर्थ ,
बन गयी गरीबी बाधक।
कहां से ले मोबाइल डाटा ,
निर्धनता के साधक ।।
एक वर्ष से अधिक भयातुर ,
दुबक घरों में दिन काटे ।
पांच किलो राशन में सबने ,
सोचो कैसे दिन काटे ।।
कारोबार हुआ सब चौपट ,
क्लास कोचिगे बंद हुई ।
प्राइवेट शिक्षक पिसा अधिक ,
उसको ना राहत प्राप्त हुई ।।
जो जग का भविष्य गढते ,
उनका जीना दुश्वार हुआ ।
शिक्षण से अच्छे अन्य कार्य ,
सोचने को मन लाचार हुआ।।
पाया कुछ भी नही सभी ने ,
कुछ ना कुछ अपना खोया ।
चली गई मुस्कान हंसी सब ,
हुआ दुखी जन जन रोया ।।