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Dheeraj Srivastava

Tragedy Others

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Dheeraj Srivastava

Tragedy Others

कमली चली गयी

कमली चली गयी

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देख गाँव का भ्रष्ट आचरण

कमली चली गई।


हँसती गाती रही हमेशा

अक्सर ही इतराती थी।

संग सुमन के रही खेलती

मन ही मन हर्षाती थी।

उस उपवन के माली से ही

मसली कली गई।

देख गाँव का भ्रष्ट आचरण

कमली चली गई।


माथ पकड़कर झिनकन रोता

रोती बहुत कटोरी है।

हाय विधाता क्या कर डाला

किसकी सीनाजोरी है।

बड़की छुटकी बचीं भाग्य से

मँझली छली गई।

देख गाँव का भ्रष्ट आचरण

कमली चली गई।


मुखिया जी सब जान रहे थे

किसने अस्मत लूटी थी।

और बिचारी क्योंकर आखिर

अन्दर से वह टूटी थी।

देशी दारू थी पहले ही

मछली तली गई।

देख गाँव का भ्रष्ट आचरण

कमली चली गई।


थोड़ा-सा वह हिम्मत करती

और बजाती जो डंका।

रावण तो मरता ही मरता

खूब जलाती वह लंका।

कैसे कह दूँ ठीक किया औ'

पगली भली गई।

देख गाँव का भ्रष्ट आचरण

कमली चली गई।


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