रेखा विभाजन की
रेखा विभाजन की
एक विभाजन की रेखा ने
पक्के घर को तोड़ दिया।।
वो कल तक जो मेरा आँगन
हँसता खिलता दिखता था
आज किसी ने देखो कैसे
बीज विछोड़ जोड़ दिया
एक विभाजन की--------------
नही आभास रहा किसी को
रीत प्रीत कैसी होगी।
जिस की खातिर सब कुछ जोड़ा
कब उसने मोह छोड़ दिया।।
एक विभाजन की-------
सपने बुनते पल पल मेरा
ये जीवन सारा बीता
निकली गई सारी जवानी
साहस साथ छोड़ दिया
एक विभाजन की--------
अहंभाव मन भीतर पलता,
भाग्य नहि साथ छोड़ेगा
आया इक झौंका आंधी का
दम्भ मेरा मरोड़ दिया।।
एक विभाजन की---------
