ऐ पूर्णिमा के चाँद
ऐ पूर्णिमा के चाँद
शरद पूर्णिमा की सभी को बधाई
आज चाँद अपनी पूरी जवानी पर होगा,
पूरित परिपूर्ण होगा सब कलाओं से।
चहूँ ओर फैलाएगा शीतल शीतल चाँदनी,
अम्बर से धरती खिलेगी शुभ्र ज्योत्सनाओं से।।
कलानिधि आकाश मंडल से धरा पे,
सुख शांति की खूब बौछार करेंगे।
प्यासी पपीहा धरती अमृत पान करेगी,
उल्लसित रजकण नाच नाच इजहार करेंगे।।
शुभ्र रश्मियां इक तेज नया प्रदान करेंगी,
दिव्य तेज पुंज से आलोकित मुखमण्डल होगा।
उदिप्त होगा हर हृदय का कोना कोना,
जब बन कर उद्धारक पूर्ण इंदु निकट होगा।।
दुःख व्याधि रोग द्वेष के समूल नाश को,
भर कर कटोरी खीर छत ऊपर रखी जायेगी।
रात भर चाँद जी भर अमृत उसमें घोलेगा,
फिर सामर्थ्यवान भीड़ स्वाद लगा खा जाएगी।।
यूँ तो चाँद सब जन का साझा है यहाँ,
कहाँ सब पर बराबर शीतलता लुटाता है।
देखो तो जरा भेदभाव इसका भी तुम,
ये भी न गरीब की थाली में अमृत टपकाता है।।
सुन चंदा इस बार ये रवायत तुम बदलते जाना,
देख नुक्कड़ पर खाली थाली नजर जब आएगी।
दो घड़ी रुक कर जरा बेबसी पर नजर दौड़ाना,
वो भूख रूपी अमृत की कीमत तुझे बताएगी।।