फिर कोई पटेल चाहिए
फिर कोई पटेल चाहिए
आज फिर भारत को एक पटेल चाहिए,
जो दर्द समझे इन किसानों नौजवानों का
जो ईमानदारी की सीधी सादी सी मूरत हो,
स्वाद न सताए जिसे ऊंचे आलीशान मकानों का।।
जो अन्याय पे आँखें लाल करनी जानता हो,
विनम्रता भाव से भरा पूरा राम सरीखा हो।
बुलन्द जाने आवाज करना अन्याय के खिलाफ,
जो जबरदस्ती दबाव में हाँ हाँ करनी न सीखा हो।।
जाने खौफ पैदा करना दुश्मन के खेमे में वो,
सबको बाँध एक सूत्र में एकता पाठ पढ़ाना जाने।
जाने मजहब की संकीर्ण लकीरों को भी भेदना,
जो सच को बना तिरंगा आकाश तलक चढ़ाना जाने।।
pan style="color: rgb(0, 0, 0);">समुद्र सा अथाह हो हृदय उस दिव्य पुरुष का,
सिंह जैसी हो दहाड़ जो न पहले सुनी हो कभी।
भाव सिर्फ और सिर्फ हो कुर्बानी का भरा भीतर,
माला वो फिर ऐसी बुने जो न पहले बुनी हो कभी।।
एकता का जो जो रूप उसने रचा था कभी,
जो दुश्मन के लिए बन तलवार अवतरित हुआ था।
गरीबों के लिए बनकर मसीहा जो आया धरा पे,
कभी ज्वाला तो कभी बन आँधी संचरित हुआ था।
महक गया था विश्व में तू बनकर जैसे अभेद्यबाण,
फिर आज इतिहास तुझे है पुनः पुकार रहा।
लौट आओ लौट आओ पुनः नया रूप धर कर तुम,
गाँधी का आसव तुझे सब गलियों में है आवाज मार रहा।।