STORYMIRROR

Geeta Upadhyay

Comedy

4  

Geeta Upadhyay

Comedy

सूखा नहीं रुमाल

सूखा नहीं रुमाल

1 min
386

क्या जाना नहीं दफ्तर आज 

श्रीमती ने दी आवाज 


हमने कहा -क्यों इतनी सर्दी में सताती हो

रविवार के दिन भी दफ्तर खुलवाती हो 


अरे आज तो चैन से बैठो

दो चार ब्रेड सेको 

साथ में गर्म चाय समोसे भी लाना 


परसों बुने दस्ताने तो पहनाना 

तभी मुन्ना आया 

मुन्ने ने फरमाया -पापा आप बिस्तर में लेटे हैं 


पड़ोस के अंकल तो पार्क में बैठे हैं

हमने कहा- चल हट शैतान 

ना कर हमें परेशान


देख ठंड से हुआ बुरा हाल

चार दिन से

 "सूखा नहीं रुमाल "


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Comedy