पति,प्याज और पत्थर
पति,प्याज और पत्थर
आँसू मेरे देख के बोली मेरी लुगाई
क्या है यह ड्रामा मैं समझ न पाई
मैं बोल्या इनको तू कभी न समझ पायेगी
हमेशा अपने आँसुं से मुझको भरमाएगी
बोली फिर आ जाओ किचन मे काम पड़ा है
आपके लिए प्याज का एक थेला पड़ा है
मैं बोल्या मै न काटूं तेरे कड़वे प्याज
बस मुझे छोड़ अकेला रहने दे आज
पति के आँसू कोई न जाना न पहचाना
देखो यह तो जाने सारा जग है सब बेगाना
पति न रोवे पति की पीरा जग में कोई न जाना
पति वेरागी पति है पत्थर जाने ऐसा पूरा ज़माना।