घर बना मंगल ग्रह
घर बना मंगल ग्रह
बीस बरस से साथ है वो
पर एलियन वो लगे कभी
बच्चे और बच्चों की मां
हैं मिलकर पीछे पड़े सभी
अक्सर जब में ऑफिस से
थका हारा आता हूं घर को
लगता दूसरे ग्रह वालों ने
उठा रखा हो सर पर घर को
चाय मांगता हूं, कभी मिलती
कभी खुद ही बनानी पड़ती है
टूट पड़ते हैं, हल्ला कर उसपे
जेब से रेजगारी जो गिरती है
लगता मैं कोई लाल ग्रह पर
हरे लोगों के संग में रहता हूं
अजब है दुनिया मेरे घर की
पर मस्ती से ये सब सहता हूं
ये ही एलियन मुझे देते शक्ति
हर दुःख दर्द में देते मेरा साथ
तनाव मुक्त बिलकुल हो जाता
सन्डे को लेते सब संग में बाथ
मस्ती ऐसी ही सबको मिले
ये कामना ईश्वर से करता हूं
मंगल ग्रह सा हो सबका गृह
गर जादू उतरे, नहीं डरता हूं।
