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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy

कुण्डलियां : सपना

कुण्डलियां : सपना

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सपना खरीदने मैं गया , एक दिना बाजार ।

अंटी में धेला नहीं , और दे नहीं कोई उधार ।।

दे नहीं कोई उधार , मुसीबत तगड़ी आई ।

मेरी पड़ोसन "सपना" , इतने में वहां आई ।।

हाथ पकड़ ले चलने को , मैं जैसे हुआ तैयार ।

चप्पल की बरसात हुई, मुझ पे बीच बजार ।।

कहें "हरि" कविराय कि , सपना पड़ गया भारी ।

अखबारों में छपने की , हो गई पूरी तैयारी ।।



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