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SUNIL JI GARG

Comedy Drama Fantasy

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SUNIL JI GARG

Comedy Drama Fantasy

मिली मुझे सुपरपावर

मिली मुझे सुपरपावर

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थका हुआ उस रोज़ था काफी

जल्दी सो गया ओढ़ के चादर

जल्दी लगा देखने  सपने

मिल गई मुझे थी सुपर पावर


दूजे के मन की बात मैं यूं ही

लगा जानने देख के चेहरा 

पत्नी के मन को पहले देखा

वो पढ़ लेती थी चेहरा मेरा


उसके सुंदर से मुखड़े पर

चिंताएं मन की दिखतीं थी

सबसे ज़्यादा बच्चों की थीं

जो वो मुंह से न कहती थीं


फिर से मैंने ये प्रयोग किया

ऑफिस में बॉस को किया रीड

बड़ा शातिर था वो, पता लगा

कोई उसकी थी अलग नीड


मैंने झट से फिर यही पावर

उसकी सेक्रेटरी पर अपनाई

किस्सा सचमुच था मजेदार

भेद की बात मैंने पता लगाई


ऑफिस में चल रही थी गड़बड़

सुपर पावर से मैंने पता किया

जोर से हिलाकर और डांटकर

मेरी पत्नी ने मुझको जगा दिया


ये सपने में मिली थी सुपरपावर

सपने तक ही रही अच्छा हुआ

वरना कितने और होते काण्ड

अब मन फिर से मेरा सच्चा हुआ।


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