एलियन... की दुनियां
एलियन... की दुनियां
अपने ग्रह से देख चकाचौंध।
एक एलियन धरती पर आया।
देख के धरती के लोगों को,
सर उसका चकराया।
अजीबोगरीब करतब थे इनके,
हर महीने इलेक्शन आया।
बाकि बचा समय,
धर्मों की बहसबाजी में गवाया।
अपने ग्रह से देख चकाचौंध।
एक एलियन धरती पर आया।
समस्याओं को बनाए मुद्दा।
समाधान ढूंढना ना आया।
बेरोजगारी नशे में डूबी।
भ्रष्टाचार ने ग्राफ बढ़ाया।
अपने ग्रह से देख चकाचौंध।
एक एलियन धरती पर आया।
देख के धरती के लोगों को,
सर उसका चकराया।
हर कोई जलता ,
दूसरे की तरक्की देख कर।
इसके हिस्सें यह क्यों आया।
इसके तो मैं काबिल था।
यह सोच के सबने अपना दुःख बढ़ाया।
अपने ग्रह से देख चकाचौंध।
एक एलियन धरती पर आया।
देख के धरती के लोगों को,
सर उसका चकराया।
मतलब के सब रिश्ते,
चुगलखोरों ने रोब जमाया।
सच्चे लोगों को,
दुनियां ने सबने दुःख पहुंचाया।
अपने ग्रह से देख चकाचौंध।
एक एलियन धरती पर आया।
पैसे ने ऐसा खेल रचाया।
कोई समझ नही पाया।
ओनलाईन ठंगी का हुआ पसारा।
घर बैठ के कमाने का आप्शन नज़र ना आया।
ज्यादा पैसा कैसे कमायें।
मोटिवेशनल स्पीकर भी कुछ न कर पाया।
अपने ग्रह से देख चकाचौंध।
एक एलियन धरती पर आया।
देख के धरती के लोगों को,
सर उसका चकराया।
अपना ग्रह ही ठीक है।
जहाँ छल कफट ही समाया।
कोई कोना सुरक्षित नहीं।
जुर्म अत्याचार ने इन्सानियत
को दोषी ठहराया।
अपने ग्रह से देख चकाचौंध।
एक एलियन धरती पर आया।
देख के धरती के लोगों को,
सर उसका चकराया।
कान पकड़ कर भागा सरपट।
पीछे देख ना पाया।
अपने ग्रह पर जाकर,
फिर धरती निहार ना पाया।
