कल रात बात हुई
कल रात बात हुई
चारों तरफ मेरे लोग ही लोग थे
बीच में मैं बिल्कुल पड़ा था चित
कुछ आवाजें आईं खुसर फुसर
मेरे रिश्तेदारों से बात करते मित्र
किसी ने धीरे से पूछा, क्या हुआ
कल रात ही अपनी बात हुई लंबी
बिना चाय पिलाए न वापस भेजा
चाहे जरा सी देर को आया जब भी
किसी ने गुहार कर कहा दूसरे से
समान आ गया क्या, होती है देर
जबाव मिला, सब कुछ तैयार है
बस पंडित को फोन किया कई बेर
तभी मुझे झटके से आई इक हिचकी
वहां सब डरे अचानक बाहर को भागे
मुर्दा के माफिक है नींद मुझे आती
बिना डॉक्टर बुलाए कहा, ये मरा सा लागे
जीवन के बाद का अनुभव
घटा सब असलियत में था
इतना सन्नाटा था सब ओर
क्योंकि गहरी नींद में मैं था
मज़ाक का ये वाकया भी
मेरी आंखों देखी घटना है
कसम से बात है ये सच्ची
नाम उस शहर का पटना है।
