पुनर्जन्म से मुक्त कवि
पुनर्जन्म से मुक्त कवि
मेरे जाने में कुछ पल ही
अभी बाकी सितमगर ओ
मेरी यादों को पर तुम भी
मिटा न पाओगे देखो तो
कलम ने जो किया हासिल
सदियों पर निशां पक्का
कि दुनिया ये कहेगी फिर
दीवाना था कोई सच्चा
वहां पर चित्रगुप्त जी भी
मेरी इस कलम को मांगेंगे
कहेंगे क्या लिखी किस्मत
ऐसी हम सबको लिखेंगे
कवि को बेहतर हो अगर
इसी जमीं पे रहने दो
स्टोरी मिरर पर ही रोज
नई कविता लिखने दो
पुनर्जन्म से है मुक्ति
चलो लिखने वालों बख्शों
ओ एडिटर साहिब बोलो
अब तो तुम पूरे नंबर दो।
