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Sunanda Aswal

Comedy Drama Fantasy

4  

Sunanda Aswal

Comedy Drama Fantasy

ख्वाबों की बजट रेल

ख्वाबों की बजट रेल

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आमदनी की ख्वाबों की बजट रेल ,

भ‌ई सब बजट है यहां पर फेल ..!


धक्का मार- मार पटरी पर झुक - झुक चली,

मास की पहली तारीख तनख्वाह मिली ..!

 

सुनहरे ख्वाब इक्कतीस को दिखाती,

नवेली सैलरी सब्ज बाग सैर कराती ..!


आमदनी बेवफा ,पैसा सारा सफा,

घर का बेलेंस गजब का बिगड़ा ..।


इनकम ,जी. एस . टी . टैक्सों का शोर ,

इनकम कम,सिपाही पीछे ,पैसा हुआ चोर ..!


नैन तरसे ,धन बरसे मन भरके ,

जेब से नोट सरके,बिगुल बजाते बढ़ते खर्चे ।


मुन्नी की फीस ,बाबू की पढ़ाई,

ये बजट तू कैसा निकला हरजाई ..!


धोबी का हाथ ,सफाई का साथ,

कामवाली बाई की हाथ की सफाई ..!


सबका देते -देते कमर झुक गई ,

मेडिकल खर्चों की वाट लग गई ..!


सीवर -जल संस्थान ,हाउसिंग टैक्स की मार,

बीमार महंगाई में लाइलाज पैसों का भार..!


आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया,

मायावी दुनियां का सच झकझोर गया ..!


कितने महंगे हम हैं आमदनी दिखती,

जितनी चादर पांव पसारो उतनी ..!


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