शादी की अंगूठी
शादी की अंगूठी
मिली थी मुझे अंगूठी
अपनी सगाई के रोज
बड़ा सुंदर डिजाइन था
नग में उसके बड़ा सोज
तीन दिन बाद शादी थी
खुश था, उन्हें पत्र लिखा
तारीफ की उनकी पसंद की
अंगूठी का फोटो साथ भेजा
आ गया जल्द शादी का दिन
उत्साह से घुड़चढ़ी को पहुँचा
तभी लगा उंगुली खाली है
कहाँ गिरी अंगूठी बहुत सोचा
सोचा उनको बुरा लगेगा
घर को वापिस जल्द आया
ढूँढा बहुत, आखिर मिल गयी
स्टोर रूम में उसको पाया
देर तो हो गयी पर बारात रुकी
आखिर दूल्हा ही गायब पाया
अंगूठी पहनी फिर खुश खुश
अपने लिए आखिर बैंड बजवाया
शादी की जयमाल से पहले
उन्होंने पूछा अंगूठी दिखाइए
हाथ उठाया पूरी शान से
फिर गायब, कैसे हुई बताईये
तभी घोड़े वाला आता दिखा
बोला ये रही आपकी चीज़
मैंने पूछा कहाँ मिली ये
जल्दी इधर लाओ प्लीज़
फाइनली जयमाल हो गयी पर
अंगूठी हाथ से फिर सरक गयी
अबकी बार बिलकुल आया रोना
लगा कि बिलकुल धड़कन रुक गयी
उन्होंने कहा कोई बात नहीं
दूसरी बनवा लेना बाद में
अभी तो फोटो के लिए मुस्कराइए
शादी न बिगाड़ें इस विवाद में
किसी तरह हो गयी शादी
मन को रही रात भर टीस
कैसे मैं लापरवाह इतना
संभाल न पाया जरा सी चीज़
अब आई सुहाग रात की घड़ी
वो खुश थीं पर मैं था उदास
कमरा बंद करते ही बोलीं
आपकी एक चीज़ हमारे पास
जालिम ने वो ही निकाली
मेरी अंगूठी अपने पास से
बताया जयमाल पर ही मिली
स्टेज की कुर्सी के पास से
ऐसी दुल्हन मिली है मेरे यारों
आज तक यूँ ही करती है मस्ती
आपको ये सच्ची दास्ताँ सुनाई
नहीं बाँची कोई नावेल सस्ती।
