मेरा साम्राज्य मिला
मेरा साम्राज्य मिला
सपने में अक्सर है दिखता
पर्वत पर एक राज महल
उसमें रानी राज है करती
सब जगह है चहल पहल
है चहल पहल बच्चों की
राजकुमार से नवयुवक
घूमते फिर रहे आसपास
शनील के कपड़े लकदक
रानी ने फिर मुकुट उतरा
मेरी पत्नी थी अरे वो तो
मैंने खुद को काटी चिकोटी
कहीं राजा मैं ही नहीं तो
फिर थोड़ी सी देर और
सपना भी मेरा चला आगे
राजा जी आने वाले हैं
बताने संतरी चले भागे
अरे ये क्या, राजा तो था
मेरा काला मुच्छड़ पड़ोसी
मन किया मार दूं खंजर
रामपुरी अपना वो देसी
तभी बीवी ने दी आवाज
चाय ली आयी हूं प्राणनाथ
मुझे लगा मेरा साम्राज्य मिला
अपनी बीवी फिर अपने साथ।
