खुशियों भरी सुबह फिर मुस्कराएगी
खुशियों भरी सुबह फिर मुस्कराएगी
हे प्राणी सूक्ष्म सी
मृत्यु विषाणु से
क्या स्वयं को निराश हता कर
ज़िन्दगी कट जायेगी
न हार न कमजोर पड़ इनके समक्ष
दिखा ज़िंदादिली
ख़ुशियों भरी सुबह फिर मुस्कराएगी
माना छोड़ा कुछ अपनों ने
तेरा दामन इसकी ख़ातिर
तू भी प्रण कर उनका बदला लेंगे
रहेंगे सजग बीमारी से
घर से ही नहीं समस्त ब्रह्माण्ड
से इसकी जड़ कट जाएगी
ख़ुशियों भरी सुबह फिर मुस्कुराएगी।
