यह खंडहर अब भी रहने योग्य है
यह खंडहर अब भी रहने योग्य है
यह इमारत
कभी घर थी
अब है
एक खंडहर
इसकी चौखट पर
खड़ा है
एक पेड़
जो करता
इसकी देखभाल
एक बूढ़ी मां सी
जैसे हो वह
एक इस सदी की
जीवंत घड़ी सी
यहां अब रहते हैं
कुछ बंद दरवाजे
कुछ रंगे हुए लकड़ी के
दरवाजे
कुछ रोशनदान
कुछ बिना दीयों की
रोशनी के
अंधेरों की परछाइयों से भरे आले
कुछ पत्थर
कुछ हरे, पीले,
काले, सफेद,
मटमैले, सूखे
पत्ते
कुछ ऊपर तो
कुछ नीचे उतरते
रास्ते
एक सुरंग भी
एक नाला भी
पर कहीं भी कोई खड़ा हो
जाये तो
दिख रहा
आसमान में फैला
सूरज के पीले रंग में मिला
आसमान का नीला उजाला भी
यह खंडहर अब भी
रहने योग्य है
इसके पत्थर के चबूतरे पर
बैठकर
कुछ सोचकर
विचारकर
मनन करके
चलो उठकर
फिर प्रयास करते हैं
हिम्मत जुटाते हैं
साहस बटोरते हैं
प्रवेश पाने के लिए
कदम धरने के लिए
सदियों से बंद पड़े
एक चरमराये
जुड़े हुए दरवाजे को
जोर से धकेलकर
खोलते हैं।
