एक कुर्बत के ज़ोर पे हुआ यह इश्क़ एक कुर्बत के ज़ोर पे हुआ यह इश्क़
सिक्कों के दो पहलू सा लहराता। सिक्कों के दो पहलू सा लहराता।
फिर क्योंबेवकूफों की तरह सफर करते रहे हम..! फिर क्योंबेवकूफों की तरह सफर करते रहे हम..!
उसे देर पसंद न थी, कोमलता तो दूर की बात उसे देर पसंद न थी, कोमलता तो दूर की बात
एक चरमराये जुड़े हुए दरवाजे को जोर से धकेलकर खोलते हैं। एक चरमराये जुड़े हुए दरवाजे को जोर से धकेलकर खोलते हैं।
बस्ती जमा हुई थी वहां उसके शोर से बस्ती जमा हुई थी वहां उसके शोर से