मुद्दत
मुद्दत
एक मुद्दत के बाद हुआ यह इश्क़
संभाले ना संभले हुआ यह इश्क़
एक कुर्बत के ज़ोर पे हुआ यह इश्क़
तेरी ही चाह में यूं आबाद हुआ यह इश्क़
एक मुद्दत के बाद हुआ यह इश्क़
संभाले ना संभले हुआ यह इश्क़
एक कुर्बत के ज़ोर पे हुआ यह इश्क़
तेरी ही चाह में यूं आबाद हुआ यह इश्क़