STORYMIRROR

sonia sarkar

Abstract Others

2  

sonia sarkar

Abstract Others

वक्त

वक्त

1 min
14

वो दरवाज़े के बाहर मुझे आवाज़ दे रहा था,

मैं यहां उसका इंतजार कर रही थी,

वो चाहता था कि मैं तुरंत जाऊँ,

और मेरी ख़्वाहिश थी वो आए

मुझे कोमलता से ले जाए,

उसे देर पसंद न थी,

कोमलता तो दूर की बात,


उसने सब्र की दहलीज पार कर ली,

वो मुझे खींच कर ले गया अपने साथ,

मेरा कोई ज़ोर न चला उस पर,

वो तो निकला ताकतवर,

वो तो वक्त था जो मुझे ले गया ...


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract