आज़ादी
आज़ादी
मेरी आज़ादी किसी
चीज़ के दायरे में कैद नहीं
वो तो खुद के साये के
खेमे में भी रहती नहीं
वो तो सिर्फ उससे सरोकार रखता है
जो खुद हमेशा आज़ाद रहता है
वो किसी और की क्यों सुने
जब उसका मालिक उसकी सुनता है
वही परम जो सब में बसता है।
मेरी आज़ादी किसी
चीज़ के दायरे में कैद नहीं
वो तो खुद के साये के
खेमे में भी रहती नहीं
वो तो सिर्फ उससे सरोकार रखता है
जो खुद हमेशा आज़ाद रहता है
वो किसी और की क्यों सुने
जब उसका मालिक उसकी सुनता है
वही परम जो सब में बसता है।