वक्त
वक्त
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कितने छोटे से शब्द में
एक अनंत सागर सा समाया है ,
सारी बातें उस पर आकर रुकती हैं ,
जब सब कुछ उस पर निर्भर है ,
छोटे से शब्द का मालिक
किसी के पास वो होता है ,
किसी के पास नहीं ...
कोई ज़ाया करता है,
कोई संदूक में बंद रखता है ,
बस सब के साथ
वो एक सा रहता है ,
वो गुज़र जाता है ,
ये वक्त नहीं तो क्या है ।
