घर -घर तिरंगा फहराएंगे
घर -घर तिरंगा फहराएंगे
अमृत महोत्सव के अंतिम चरण में हम,
हर घर और घर -घर तिरंगा फहराएंगे।
राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक अपना तिरंगा,
अक्षुण्ण रहे गरिमा रीति वही अपनाएंगे।
निज विकास और निज गरिमा का
संविधान ने दिया है हमको अधिकार,
ग्यारह कर्त्तव्यों में शामिल है राष्ट्रीय ध्वज,
राष्ट्रगान और संविधान की गरिमा से प्यार।
हैं देश हमारा प्राणों से भी प्यारा और हम,
इसकी गरिमा को हर हाल ही में बचाएंगे।
अमृत महोत्सव के अंतिम चरण में हम
हर घर और घर -घर तिरंगा फहराएंगे।
राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक अपना तिरंगा,
अक्षुण्ण रहे गरिमा रीति वही अपनाएंगे।
जोश रहेगा और होश रहेगा जब हम सब,
प्यारा-प्यारा तिरंगा राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे।
इसका सम्मान अक्षुण्ण सदा रहे हर क्षण,
हम सब केवल काम वही करते जाएंगे।
ध्वज फहराने के नियमों के अनुरूप ही,
ध्वज फहराकर महोत्सव खुशी मनाएंगे।
अमृत महोत्सव के अंतिम चरण में हम,
हर घर और घर -घर तिरंगा फहराएंगे।
राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक अपना तिरंगा,
अक्षुण्ण रहे गरिमा रीति वही अपनाएंगे।
बहुत बड़ी संख्या में भारतीयों के द्वारा,
तिरंगे ध्वज समूचे देश में फहराए जाएंगे।
कटे फटे गंदे ध्वज फहराना वर्जित होता है,
ऐसे ध्वज को कोई न कभी भी फहराएंगे।
कभी गिरे न भूमि या जल में ध्वज अपना,
हर पल याद रखेंगे कभी न इसे भुलाएंगे।
अमृत महोत्सव के अंतिम चरण में हम,
हर घर और घर -घर तिरंगा फहराएंगे।
राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक अपना तिरंगा,
अक्षुण्ण रहे गरिमा रीति वही अपनाएंगे।
शान से लहराने के सिवा नहीं है लाना ,
हमको कभी इसे न किसी भी दूजे काम।
क्षतिग्रस्त हुए प्यारे ध्वज को ससम्मान ही,
एकांत में जाकर नष्ट करने का करना काम।
जिस भारत मां पाला-पोषा है हम सबको,
उसकी प्रतीकों सहित प्रतिष्ठा हम बढ़ाएंगे।
अमृत महोत्सव के अंतिम चरण में हम,
हर घर और घर -घर तिरंगा फहराएंगे।
राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक अपना तिरंगा,
अक्षुण्ण रहे गरिमा रीति वही अपनाएंगे।