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Madhu Vashishta

Inspirational

4.5  

Madhu Vashishta

Inspirational

वानप्रस्थ आश्रम

वानप्रस्थ आश्रम

2 mins
413


काश! आज भी वानप्रस्थ आश्रम का चलन होता।

तो उम्र के इस मोड़ पर भी मन मगन हो होता।

मिल जाते हमउम्र सारे दोस्त वहीं

कंप्यूटर चले ना चले हमारी पीढ़ी को तो मोबाइल की भी जरूरत नहीं।

पास बैठते मिलजुल कर हालचाल पूछते एक दूसरे का।

अपने जीवन की कहानी सुनाते और वन में ही अपना स्वर्ग भी बसाते।

नई पीढ़ी को मगन रहने देते खुद में ही।

वह रह जाते अपने परिवार के साथ घर पर ही।

सही तो है मां-बाप के परिवार में हमेशा बच्चे भी आए हैं।

लेकिन बच्चों के परिवार में मां बाप बमुश्किल ही समाए हैं।

मन विचलित हो उठता है जब हमउम्र वालों को अकेला ही देखते हैं।

व्यस्क और व्यस्त बच्चों के आने की राह ही देखते हैं।

वानप्रस्थ आश्रम में होते कुछ लोग ऐसे भी।

जिन्होंने सिर्फ पैसे ही कमाए होंगे और छोड़ दिए थे सब रिश्ते भी।

वानप्रस्थ आश्रम में उन पैसों का कुछ उपयोग कर पाएंगे।

सभी खाएंगे दाल रोटी जो पैसे ना दे पाए, उनके पैसे देकर वह पुण्य कमाएंगे।

एक बड़ा सा वन जिसको सब मिलकर उपवन बनाएंगे।

प्रकृति का संरक्षण करेंगे, प्रकृति की गोद में ही बाकि का समय बिताएंगे।


पर्यावरण की चिंता हमको ना करनी होगी।


क्योंकि सारी गाड़ियां हमारे वन से तो दूर ही होंगी

एक दूसरे के दुख आपस में ही मिलजुल कर बंटाएंगे।

उम्र के इस मोड़ पर कौन दुश्मनी निभाएगा।

कुंती और गांधारी के जैसे एक दूसरे को सिर्फ अपने सुख-दुख सुनाएगा।

व्यस्क बच्चों को कभी फुर्सत में मिलेगी सुनने की।

तभी तो सबको जरूरत पड़ेगी वानप्रस्थ आश्रम में जाने की।

काश आज भी वानप्रस्थ आश्रम का चलन होता।

तो उम्र के इस मोड़ पर भी मन मगन हो होता।

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