मेरे हमसफ़र
मेरे हमसफ़र
मेरे हमसफ़र मेरी जिंदगी का हर ख़्वाब हो तुम,
तुम्हारा रूप जैसे मौसम की खुली हुई धूप हो तुम,
नजर अंदाज न कर सके कोई तुम्हारा ये अंदाज,
मेरी हर उस कहानी का महत्वपूर्ण किरदार हो तुम,
ख़ामोशी में भी तुम संग लफ़्ज जब बहुत कुछ कहते,
जो मेरे दिल में बसी उस आवाज़ का अंदाज हो तुम,
बारिश की हर बूंदों संग जब तुम हलचल करती हो,
लगता पानी में बहती वो शीतलता की ठंडक हो तुम,
हवा के झोंकों से भी आती है जब भी खुशबू तुम्हारी,
कहता है दिल मेरी दिल की धड़कन में बसी हो तुम,
मेरी हर कविता और गज़ल में तुम्हारा ही नाम होता है,
जिसे में हर पल याद करता हूँ, मेरी वो आदत हो तुम,
राह में जब भी तुम संग चलता हूँ हर आसान हो जाती,
जहाँ तक पहुँचना मुझे मेरे प्यार की वो मंजिल हो तुम,
जब भोर के पहर आँखें खुलती तुम ही नज़र आते मुझे,
खिड़की से झाँकती हुई भोर की पहली किरण हो तुम,
तुम संग मेरी जिंदगी का हर सफ़र खूबसूरत हो जाता,
मेरे हमसफ़र तुम मेरा ख़्वाब, मेरी हकीकत हो तुम,
कुछ तो है तेरे मेरे दरमियान जो अहसास दिलाता है,
दूर रहकर भी लगता है, जैसे हरदम मेरे करीब हो तुम,
प्यार का झरोखा जिसमें से हल्की सो रोशनी झाँकती है,
लगता जैसे खामोश रहकर भी कुछ कह रही हो तुम,
रात के अँधेरे में चाँदनी की तरह जब तुम चमकती,
लगता जैसे रोशनी में मुझको बांहों में समेट लेती हो तुम,
कभी छोड़कर ना जाना तुम, मुझे बिखरकर टूट जायेंगे,
मेरा कल, मेरा आज, मेरा सब कुछ, मेरी जिंदगी हो तुम I