महाराणा प्रताप
महाराणा प्रताप
थर्रा जाता तख़्त अरिदल का
हय पर जब प्रताप सवार होता
हय नहीं प्यारा मित्र प्रताप का
हवा संग जो दौड़ लगाता था l
नाम था चेतक जिसका
रण में कमाल दिखलाता था
होशियार चेतक बिन बोले ही
दुश्मन की ओर मुड़ जाता था।
हल्दीघाटी के रण भूमि बीच
राणाप्रताप काल सा दौड़ पड़ा
मातृभूमि की रक्षा खातिर
अरि का मर्दन करता जाता l
न चैन उसे न घोड़ा रुकता
न तन थकता न मन थकता
लड़ता रहा जब तक सांस रही
मातृभूमि को मुगलों से मुक्त कराया l
आँधी -तूफान सा हुंकारे भरता
हर दिया वचन निभाता था
रण बीच वह तेजस्वी राणाप्रताप
हर- हर महादेव कहता जाता l
