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VEENU AHUJA

Inspirational

4.5  

VEENU AHUJA

Inspirational

हुंकारती पृथ्वी

हुंकारती पृथ्वी

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दोहन दोहन और दोहन

खाली होती धरा

पेट मानव का

न भरा।


आँखें मूंद

धृतराष्ट्र बना

केवल अपना स्वार्थ

सिद्ध करने में अड़ा।


प्रकृति के असीम उपकार

कृतध्न मानव

मचा रहा हाहाकार

प्रलय और क्या होगी ?


हुंकारती प्रकृति

संभल जा सत्य को समझ

जीवन का है व्यापक अर्थ ..

अब और न उजाड़

कुछ नए पत्ते उगा

कुछ नयी जड़ें फैला


कुछ अमरुद कुछ आम

दूसरों के लिए भी उगा

जीवन सफल होगा

कृत -कृत होगी

तेरी धरती माँ ... I


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