ताबूत
ताबूत
जीवन का अंतिम सत्य यही है, कफ़न होना है
हर किसी को एक दिन ताबूत में दफ़न होना है
मौत से भय कैसा वह तो महबूबा की मानिंद है
एक दिन उसी की बांहों में सबको मगन सोना है
चार दिन की जिन्दगी है , हंसकर गुजार दीजिए
प्रेम की गलियों में बसकर इसको संवार लीजिए
मीठे बोल बोलने पर कोई टैक्स नहीं लगता "हरि"
सब दौड़कर आएंगे बस , प्रेम से पुकार लीजिए।
