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Nitesh Prasad

Inspirational

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Nitesh Prasad

Inspirational

कितना अकेला हूँ मैं

कितना अकेला हूँ मैं

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कितना अकेला हूँ मैं अभिमन्यु सा

जीवन युद्ध में विपत्तियों से घिरा

संघर्ष मेरा निरंतर जारी है


हौसला रथ के पहिये सा भारी है

माना मैंने सीखा केवल चक्रव्युह में करना प्रवेश

मैं मतलबी नहीं, ना मेरे मन है कोई द्वेष


अकेला लडूंगा, अकेला ही सहूँगा, सारे मतलबी वार

हार न मानूंगा, चाहें किस्मत बंद करे सारे द्वार

टूट कर बिखर नहीं सकता


मैं तो हूँ फूल की पंखुड़ी,

सुगंध अपनी छोड़ नहीं सकता।


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