STORYMIRROR

Nitesh Prasad

Inspirational

4  

Nitesh Prasad

Inspirational

सुबह के तारे

सुबह के तारे

1 min
677


कुछ बीच सफर तक चले,हम उम्मीदों की सुबह तक जले

रात के मुसाफिर हम,भोर तक नील गगन में फूल बन खिले


बिखरती अंधियारे संग सिमटती इसकी छोटी वजूद देखी

उज्जवल सुबह में विस्तृत उजाले को सर्वस्व मौजूद देखी


हाँ हम ही है वो सुबह के सितारे,जो सुनाते तुम्हे ये कहानी सारे

खुद जल और दूर कर अंधियारे,क्यों ढूंढता है तू दूसरों में सहारे


अस्तित्व मेरी भोर तक ही छिपी नहीं,असीम,अपराजित है मेरा किस्सा

नभ के आँचल से तेरे जीवन को देता एक नई आस का अमिट हिस्सा


बन जाओ मुझ सा तुम भी भोर का तारा,होगा ये संगम कितना प्यारा

मैं आसमान में बिखेरु उजाला और तुम धरा में प्रेम फैलाना सारा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational