सुकर्म की गाड़ी हांको
सुकर्म की गाड़ी हांको
है अगर हिम्मत तो
सुकर्म की गाड़ी हांको
दाएं-बाएं, ऊपर-नीचे
देख कर चलो।
प्रेम के बस्ते में
आनंद के फल भरो
कुकर्म से बचो
और बचाओ सबको।
मत पूछो किसी से
अपनी मंजिल का पता
मंजिल खुद तुम्हारा
पता ढूंढती है।
चाहे जितना बहला
फुसला लो उसको
तुम्हारे कर्मों के आगे
वो चलती है।
भाग्य से कर्म को
बनाया नहीं जाता
कर्म का लिखा
मिटाया नहीं जाता।
आदि से अंत तक
विवेक से चलो
सुकर्म की कलम से
भाग्य को लिखो।