कफन तिरंगा दे जाओ
कफन तिरंगा दे जाओ
चाह नहीं प्रभु
महलों की तुम सैर कराओ।
चाह नहीं प्रभु
पुष्प रथ पर तुम चढ़ाओ।
चाह प्रभु सिर्फ इतनी मेरी
कफन तिरंगा दे जाओ।
मैं तो लघुकण इस धरती का
दुर्लभ जीवन पाया है।
कर्ज बहुत बड़ा धरा का
असीम सुख पाया है।
आ सकूं प्रभु इसके काम
ऐसा कुछ करवा जाओ
चाह प्रभु सिर्फ इतनी मेरी
कफन तिरंगा दे जाओ।
बोझ बड़ा भारी है सिर पर
कर्मबोध न जानूँ मैं।
भारत माँ के ध्यान में
मत्स्य सम डुबूँ-तैरु मैं।
हरेक कतरा लहू का
इसपे न्यौछावर करवा जाओ
चाह प्रभु सिर्फ इतनी मेरी
कफन तिरंगा दे जाओ।
