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भाऊराव महंत

Inspirational

5.0  

भाऊराव महंत

Inspirational

कर्ज़ माटी का हमें चुका है

कर्ज़ माटी का हमें चुका है

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371


देश के खातिर यहाँ सब कुछ लुटाना है

कर्ज माटी का हमें ऐसे चुकाना है


आ गई खुशियां हमारे वास्ते लोगों 

जश्न आजादी का अब मिलकर मनाना है


सैकड़ों वर्षों यहाँ करते रहे शासन 

दाग हम पर है गुलामी का चुकाना है 


आ अगर जाये कोई मुश्किल कभी माँ पर

इस वतन के वास्ते जां भी लुटाना है


कर रही शृंगार देखो आज भारत माँ 

आज दुल्हन की तरह धरती सजाना है


हर तरफ होगा उजाला ही उजाला बस 

रौशनी से इस धरा को जगमगाना है


आधुनिक शिक्षा मिले पर साथ में अब तो

वेद गीता और रामायण पढ़ाना है


आज अपनी संस्कृति पर नाज़ है हमको

अब हमारी इस धरोहर को बचना है


अब सदा अच्छाइयों के राह पर चलकर 

हर बुराई को यहाँ जड़ से मिटाना है


प्रेम का संदेश अब सबको बताना है 

कृष्ण के जैसे यहाँ बंसी बजाना है


शिष्ठता सच आचरण की दे यहाँ शिक्षा

राम के जैसा यहाँ बेटा बनाना है


देश के खातिर करेंगे वंदना सब मिल

अब वतन के वास्ते ही गीत गाना है


आरती हो भारती की अब यहाँ हरदम

गीत ग़ज़लों में यही बस गुनगुनाना है।


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