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Dr Archana Verma

Romance

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Dr Archana Verma

Romance

मनमीत

मनमीत

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मेरी आस मेरे महबूब आये हैं।

जो पहले खफ़ा थे वो ख्वाब भाये हैं।


मेरे साथ कसमें वादे किए थे जो,

खुशियों भरी वो सौगात लाये हैं।


जिन्हें चाहकर भी अपना नहीं माना,

मन के मीत वो सपनों में आज छाये हैं।


जो मेरी खा़सियत थी वो खो गई कैसे,

खुद को आइने में अंजान पाये हैं।


खुद ही कैद हो जो वो पक्षी बने कैसे,

नयनों में पले ख्वाबों को मिटाये हैं।


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