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Dr Archana Verma

Inspirational

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Dr Archana Verma

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सावन संग आशा

सावन संग आशा

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सावन की बयार में

अठखेली मन है खाय रे।

झूम के बरखा रानी ने जो

पायल है छनकाई रे।।


मोर पपीहा गुंजन करते

पीहू- पीहू कुंजन में ।

नदियाँ कल-कल उफान भरे हैं

सागर से मिलन की धुन में ।।


तपती धरा की प्यास बुझ रही

वारि सुधा रसपान से ।

नव अंकुर अंगड़ाई ले रहे

पा पोषण प्राकृत दान से ।।


मेरा मन भी उल्लास भर रहा

रिम -झिम मधुर श्रवण से ।

क्या कह रही बरखा बूँद सुन रही

अन्त:करण में लगन से ।।


दे रहे सब अपना योगदान

चल सके ये प्राकृत चक्र अनवरत्। 

हम भी कर लें अपना श्रमदान

पौधे रोपण कर आशाओं के सतत्।।


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