सावन
सावन
मेघा आयें घुमड़ -घुमड़ के
बरखा रिम -झिम भाय रे
इस सतरंगी सावन में सब
हरा-भरा हो जाये रे.......।।
नव कोपल करें युवा तरु को
आस के फूल खिलाए रे
इन फूलों की खुशबू में सब
प्रेम के गीत हैं गाये रे....।
इस सतरंगी सावन में
सब हरा-भरा हो जाये रे.....।।
पड़े हिंडोले डालों में
हर पेंग में उठा संगीत रे
हरी चूड़ियाँ, मेंहदी,गज़रा
हरियाली तीज मन भाये रे।
इस सतरंगी सावन में सब
हरा-भरा हो जाये रे......।।
प्रकृति हो चली मन भावन सी
नवसृजन का ये श्रृंगार रे
मोर ,पपीहा गुंजन करते
हर हिय में शिव हैं छाये रे।
इस सतरंगी सावन में सब
हरा-भरा हो जाये रे.....।।
