नारी सम्मान
नारी सम्मान
नारी से है अस्तित्व मिला
सह दर्द को उसने जन्म दिया।
अपनी ममता के आंचल में
जीवन को है परिपक्व किया।
है त्याग की देवी नमन करो
संघर्ष को उसके चयन करो।
रखती सबको आगे खुद से
उस नारी का सम्मान करो।
रिश्ते बुनती नित प्रेम से वो
माँ,बहन या पत्नी बनके वो।
बनकर परिवार की ढाल जो
करती इच्छाओं का त्याग वो।
काया नाजुक तो निडर है वो
मन-मस्तिष्क से सबल है जो।
सहने की क्षमता अद्भुत रख
हर क्षेत्र में ही काबिज है वो।
नेतृत्व किया है दृढ़ मन से
लक्ष्मी, दुर्गा, पदमावती हो।
संस्कृति,संस्कार है जाने वो
सदियों से बनी मिसाल है वो।
न समझो उसको निर्बल तुम
क्यूँ उसका तुम अपमान करो
जिसके तन से ही जन्मे तुम
उस नारी का सम्मान करो।