भविष्य कैसा होगा?
भविष्य कैसा होगा?
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कर्म पथ पर बढ़ चले हम
साधना निज कर रहे हम।
छांट कर तम के कलुश को
भविष्य सर्जन कर रहे हम।।
बैठना क्या भाग्य ताके
हाथ की रेखा को आंके।
कर्म का पहिया घुमा कर
भविष्य को रचते हैं बांके।।
आस हर मन में जगी है
स्वप्न साधे धुन लगी है।
घर सजे सुख साधनों से
धन पाने की होड़ लगी है।।
भविष्य चिंता तज बढ़ो सब
कर्म साधक सफल हो तब।
प्रेम, दया, सद्भावना से ही
भविष्य साजो सारथी सब।।