लौट आना
लौट आना
सुनो,
लौट आना तुम
जैसे लौट आता है सूर्य
भोर होने पर,
जैसे पेड़ो पर लौट आते है
खग शाम होने पर,
जैसे लौट आते है सितारे
बादल छटने पर,
तुम्हारी चिर प्रतीक्षा में
धरा बनकर तकती रहती
हूँ आसमाँ,
बाट निहारते नैन मेरे
सूख से गए हैं
इस बार तुम्हारा
लौट आना
बारिशों सा होगा प्रियवर।

