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Pinki Murmu

Romance

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Pinki Murmu

Romance

मैं जो रूठूँ तो.....

मैं जो रूठूँ तो.....

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मैं जो रूठूँ तो मुझे कैसे मनाओगे, 

सामने आओ जब तुम , 

ना मुस्कुरांऊ मैं, 

खुद में क्या रह जाओगे, 

या रूठने की वजह जान पाओगे, 

 मैं जो रूठूँ तो मुझे कैसे मनाओगे.


थोड़ी-थोड़ी तकरार क्या झेल पाओगे

खामोशियों को क्या पढ़ पाओगे 

मिष्टि -दोही सा रिश्ता कैसे निभाओगे,

चुप से आंखें कहेगी बहुत कुछ, 

पढ़ते तो दुनिया को बहुत हो तुम ,

मेरी आंखों को क्या पढ़ पाओगे.

मैं जो रूठूँ तो मुझे कैसे मनाओगे.


माना रिश्ता हमारा अटूट है, 

रिश्तो की हर कसम निभा पाओगे

 बांधा नहीं कभी हमने किसी वजूद से,

हमारे दिल की धड़कन क्या बन पाओगे,

शिकायतें भी होंगे, सिफारिशें भी ,

पूरी तो ना होंगे सभी ,

बस कह देना साथ हूं सदा, 

मेरे दिल को तुम यूं जीत जाओगे, 

मैं जो रूठूँ तो मुझे कैसे मनाओगे.


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