विधार्थी.. अनमोल जीवन
विधार्थी.. अनमोल जीवन
जीवन का जो अनमोल मोल है
उसका महत्व तब समझ आता है
जब विधार्थी जीवन का सांचा
सही आकार में डाला जाता है।
तमन्ना की उड़ान और चाहतों का सिलसिला
कशमकश में विधार्थी जीवन उलझ जाता है
बागडोर इसकी ढील न पड़ जाए
ये पल न दोबारा लौटकर आता है।
मगर उस वक्त बड़े होने की जल्दी और
ज़िम्मेदारी के बीच नादानियों में
ये कहां समझ पाता है
अब व्यस्तता के बीच चाहते हैं
गर लौटना उन क्षणों के बीच
मगर कभी भूत और वर्तमान
कहां मिल पाता है।
जीवन का जो अनमोल मोल है
उसका महत्व तब समझ आता है
जब विधार्थी जीवन का सांचा
सही आकार में डाला जाता है।