इंतजार
इंतजार
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खयालों के जंगल में यूं शोर हो रहा है ,
दिन का सुकून, रात का चैन खो रहा है ।
मुद्दतों के बाद बस रहा है शहर अपना,
जिसे उजाड़ने को कोई देख रहा सपना ।
मेरे मुकद्दर में है ,कांटे ही कांटे ,
फिर क्यों फूलों की खुशबू ला रहा है ।
तमन्नाओं की उड़ान पतंग से उड़ रही ,
डोर है किसी ओर के हाथ में यह भी भूल रही ।
चुप सी मोहब्बत ,खामोश सा प्यार ,
फिर क्यों जज्बातों की महल में कैद हो रहा है ।
रास्ते हैं बहुत चलने के वास्ते ,
फिर खङा क्यों इंतजार कर रहा है ।